चूहा मूल रूप से एक संदेहवाला प्राणी होता है| जहर गंध चूहोंको जल्दी पता चल जाने के कारण वे उनसे दूर रहा जाते है| यही जो कारण है, चूहों को मारनेवाले रासायनिकयुक्त विष ज्यादातर असफल हो जाते है| रासायनिक जहर से खाद का पौधा (gliricidia )जो है वह परिणामकारी औषधि है जो चूहों को आसानी से मार सके| ज्यादातर कृषिक मित्रोंको ग्लिरिसिदिअ पत्ता जानी पहचानी होता है| इसी को ही खाद का सस्य कहा जाता है| मूलतः इस पौधे को ग्रीक देश के लोग चूहोंको मारने के लिए ही इस्तेमाल करते थे| ग्रीक भाषा में ‘ग्लिरी’ का मतलब होता है चूहा| चूहोंको मारनेवाली शक्ति के कारण से ही इस पौधे को ग्लिरिसिदिअ याने खाद का सस्य कहा गया|
चावल और ग्लिरिसिदिअ की पत्तियों को एक निश्चित मात्रा में मिलाएं और इसे चार दिनों के लिए ढक कर रख दें। या ग्लिरिसिदिअ को ग्रैंड करके उसे चावल के साथ अच्छी तरह मिलाया भी जा सकता है | इस मिश्रण को चार दिन तक ऐसे ही रख दे| रख देने से वह एक दो दिन में बदबू आने लगती है।
चार दिनों के बाद, मिश्रण को लड्डू के रूप में बनाया जाना चाहिए और चूहे के पथ पर या उस मार्ग पर रखना चाहिए जहां वे चल सकते हैं।चूहें चावल की गंध से आकर्षित हो जाता है और उस चावल को खा जाता है अवश्य खाते हैं। तब वे बीमार होकर मर जाते हैं। यदि नजदीक में मरा चूहा नहीं दिखा तो चिंतित होने की आवश्यकता नहीं , क्यूंकि वे कही दूर जाकर मर पड़े रहते है|
ज्यादातर समय में चूहे रासायबिक विष खाने पर पानी पी जाते है , इसी कारण से वे जिन्दा बचते है| पानी पीने के कारण उनके पाचन अंग पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता| लेकिन ग्लिरिसदीअ का विशिस्टता यह है की, अगर इसे खाकर चूहे पानी पी जाते है है तो वे जल्द ही मर जाते है| खादर का पौधा ko अगर कौआ , या अन्य पशु पक्षी गलती से खाते है तो भी वह मरते नहीं| ग्लिरिसदीअ चूहों पर असर करता है नाहीं की अन्य पर| यह एक बड़ा आश्चर्य है।
प्रकृति की विशेष यह है, ग्लिरिसदीअ मिश्रित आहार सेवन से सिर्फ चूहा, गिलहरी मात्र मर जाते है| इसे जानकार ही ग्रीक लोग खाद पौधे को सिर्फ चूहों को नाश करनेकेलिए प्रयोग करते आये है|
याद रखें: वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक वी.पी. हेगड़े कहते है, “ग्लिसराइडिया चावल और चावल की एक निश्चित मात्रा में होना चाहिए, माप में अंतर हो तो जहर प्रभावित नहीं होगा |
अधिक जानकारी के लिए: 97403 – 40248